आपकी जेब पर नई GST स्लैब का क्या प्रभाव पड़ेगा?

जीएसटी काउंसिल बैठक 2025 : आठ साल बाद कर ढाँचे में सबसे बड़ा सुधार, आम जनता और उद्योग दोनों को राहत
नई दिल्ली।
भारत के कर ढाँचे में बुधवार को एक ऐतिहासिक सुधार दर्ज हुआ। वस्तु एवं सेवा कर (GST) परिषद की 56वीं बैठक, जो करीब 10 घंटे चली, में सरकार ने वह कदम उठाया जिसका इंतजार लंबे समय से किया जा रहा था—जटिल स्लैब संरचना को सरल बनाना और आम जनता के लिए कर का बोझ कम करना।
इस बैठक की अध्यक्षता केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने की और इसमें 31 राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों के मंत्री शामिल हुए। जो बैठक मूल रूप से दो दिनों तक चलने वाली थी, वह आखिरकार केवल एक दिन में समाप्त हो गई।
नई कर संरचना : अब सिर्फ दो स्लैब
अब तक GST चार प्रमुख दरों में बँटा था—5%, 12%, 18% और 28%। इस बहु-स्तरीय ढाँचे ने न केवल आम आदमी को उलझाया बल्कि उद्योग जगत के लिए भी अनुपालन और वर्गीकरण विवाद बढ़ाए।
नए सुधारों के बाद :
5 प्रतिशत (जनहित दर) – रोज़मर्रा की वस्तुएँ और आवश्यक सामान
18 प्रतिशत (मानक दर) – अधिकांश उपभोक्ता वस्तुएँ और उद्योग संबंधित उत्पाद
40 प्रतिशत (डीमेरेट दर) – केवल लग्ज़री, सिगरेट, तंबाकू, पान मसाला जैसी वस्तुएँ
यह बदलाव 22 सितंबर (नवरात्रि के पहले दिन) से लागू होगा।
आम जनता के लिए बड़ी राहत
सरकार ने खास ध्यान आम आदमी पर रखा है।
साबुन, शैम्पू, टूथब्रश, टूथपेस्ट, तेल, रसोई के बर्तन, साइकिल जैसी रोज़मर्रा की ज़रूरत की वस्तुओं पर कर अब केवल 5% रह जाएगा।
टीवी, एसी, डिशवॉशर जैसे व्हाइट गुड्स पर दर 28% से घटाकर 18% कर दी गई है।
छोटी कारें (1200 सीसी तक पेट्रोल इंजन और 1500 सीसी तक डीज़ल इंजन, लंबाई 4 मीटर से कम) और 350 सीसी से कम मोटरसाइकिलें अब 18% पर आएंगी।
बड़ी कारें और लग्ज़री वाहन 40% स्लैब में रखे गए हैं।
सभी इलेक्ट्रिक वाहन पहले की तरह 5% पर ही रहेंगे।
बीमा और स्वास्थ्य सेवाओं को छूट
आम लोगों की स्वास्थ्य और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए परिषद ने एक बड़ा फैसला किया है—
जीवन बीमा की सभी श्रेणियाँ (टर्म, एंडोमेंट, ULIP आदि) अब पूरी तरह जीएसटी मुक्त होंगी।
स्वास्थ्य बीमा पॉलिसियाँ, चाहे व्यक्तिगत हों, फैमिली फ्लोटर हों या वरिष्ठ नागरिकों के लिए, उन पर भी कोई कर नहीं लगेगा।
इससे स्वास्थ्य सेवाओं की लागत कम होगी और आम जनता को सीधी राहत मिलेगी।
सेवाओं पर असर : फिटनेस और वेलनेस सस्ती
फिटनेस और वेलनेस क्षेत्र में भी आम आदमी को फायदा मिलेगा।
जिम, सैलून, योग केंद्र, नाई और ब्यूटी सेवाओं पर जीएसटी 18% से घटाकर 5% कर दिया गया है।
अब यह सेवाएँ आम लोगों की पहुँच में और आसान होंगी।
उद्योग जगत और किसानों को राहत
उलटे शुल्क ढाँचे का समाधान
अब तक कई सेक्टर “Inverted Duty Structure” से परेशान थे—जहाँ इनपुट पर कर ज्यादा और आउटपुट पर कम था। इससे पूंजी फँसती थी और रिफंड की जटिल प्रक्रिया से उद्योग प्रभावित होता था।
अब इसमें सुधार किया गया है :
मैनमेड फाइबर और यार्न पर कर घटाकर 5% कर दिया गया।
उर्वरक उद्योग को भी राहत—सल्फ्यूरिक एसिड, नाइट्रिक एसिड और अमोनिया पर दर 18% से घटाकर 5% की गई।
श्रम-प्रधान उद्योगों को प्रोत्साहन
वित्त मंत्री ने कहा कि “श्रम-प्रधान उद्योगों को पर्याप्त समर्थन दिया गया है। इससे न केवल उद्योग मजबूत होंगे बल्कि रोजगार सृजन को भी बढ़ावा मिलेगा।”
राज्यों की चिंता और केंद्र का जवाब
बैठक में कई राज्यों ने आशंका जताई कि इन कटौतियों से राजस्व में 80,000 करोड़ से 1.5 लाख करोड़ रुपये तक की कमी आ सकती है।
हालांकि, राजस्व सचिव अरविंद श्रीवास्तव ने स्पष्ट किया कि यह “राजस्व हानि” नहीं बल्कि “नेट राजस्व प्रभाव” है, जो लगभग 48,000 करोड़ रुपये रहेगा। उनके अनुसार यह पूरी तरह वित्तीय रूप से टिकाऊ है।
उद्योग जगत की प्रतिक्रिया
उद्योग संगठनों ने इन सुधारों का जोरदार स्वागत किया।
सीआईआई (CII) के महासचिव चंद्रजीत बनर्जी ने कहा :
“यह ऐतिहासिक और दूरदर्शी कदम है।
अनुपालन आसान होगा, मुकदमे घटेंगे और कारोबार तथा उपभोक्ता दोनों को स्थिरता मिलेगी।
दरों में कटौती का लाभ उद्योग तुरंत उपभोक्ताओं तक पहुँचाएगा।”
राजनीतिक और वैश्विक संदर्भ
वित्त मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए गए शुल्क का इन सुधारों से कोई लेना-देना नहीं है।
उन्होंने कहा—”हम पिछले डेढ़ साल से इस सुधार पर काम कर रहे थे। प्रधानमंत्री ने 15 अगस्त को लाल किले से अपने भाषण में ‘अगली पीढ़ी के सुधारों’ की बात की थी। यह फैसला उसी दिशा में एक बड़ा कदम है।”
निष्कर्ष : आम आदमी और अर्थव्यवस्था दोनों को फायदा
जीएसटी सुधार केवल कर दरों की कटौती भर नहीं हैं। ये :
आम आदमी की जेब पर सीधी राहत देंगे।
उद्योग जगत की नकदी फँसने की समस्या दूर करेंगे।
स्वास्थ्य, बीमा और कृषि क्षेत्र को मजबूत करेंगे।
कारोबारियों को स्थिरता और भविष्य की स्पष्टता देंगे।
दरअसल, आठ साल बाद जीएसटी ने सबसे बड़ा सुधार देखा है, जिसने इसे और सरल, पारदर्शी और लोगों के लिए उपयोगी बना दिया है।
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